Dr. Ravindra Srivastava Jugani:
Dr. Ravindra Srivastava "Jugani" आवास: रावत पाठशाला के सामने, तुर्कमानपुर, गोरखपुर प्रकाशित पु्स्तकें: मोथा अ उ र माटी, गीत गाँव-गाँव, नोकियात दूबि सक्रिय सहभागिता: रंगमंच, रेडियो, दूरदर्शन, अभिनय, गीतकार, पटकथा लेखन, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मंचों से काव्यपाठ, व्याख्यान व भाषण स्तम्भ लेखन: राष्ट्रीय सहारा में "बेंगुची चललि ठोंकावे नाल" नोकियात दूबि से चुनी हुई एक कविता एगो बाल गीत पेंड़वा के पुनुई से गितिया उतारि के। एक दिया डारि आईं नदिया में बारि के॥ पितरी के चाम चूम बदरे के रेखा। हाय रे परान तोके कबहूँ न देखा॥ सँझिया के मुँहवाँ से घुँघुटा उतारि के। छिछली गड़हिया में बून्न भर पानी। ओहमें नाचें लाल भवानी॥ ललकी किरिनिया के हियरा उतारि के। सुनलीं हँ बतिया के इतिहास होला। दियवा जरऽ ला कहीं उजियार होला॥ दियवा के निचवाँ अन्हरिया बहारि के। -डॉ0 रविन्द्र श्रीवास्तव "जुगानी भाई"

